हम दीप जला कर बैठे हैं, तुम साथी ईद मना लेना,
हम खील बताशे खाते हैं, तुम शीर हमारी खा लेना।
जगमग रोशन जब उसका, सारा आंगन हो जाये,
मेरा घर भी पास खड़ा धीमे धीमे मुस्काये,
हिन्दू मुस्लिम मुद्दों के यहाँ नहीं होते परचम,
मेरी गलियों में आओ देखोगे अनमोल रसम,
मेरे सूने घर का, आंगन रोशन वो करता है,
मेरे घर लक्ष्मी आये, सदा जतन वो करता है।
उसका मेरे घर आकर भेली का टुकड़ा लेना,
मेरा उसके घर जाकर मीठी वो गुजिया लेना,
हम दीप जला कर बैठे हैं, तुम साथी ईद मना लेना,
हम खील बताशे खाते हैं, तुम शीर हमारी खा लेना।
- इमरान .
2 टिप्पणियां:
वाह बहुत खूब ..........
वाह बहुत खूब ..........
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