सोमवार, 5 मार्च 2012

तुम .



सियाह अँधेरे में 
दूर .... किसी रोशनी से तुम ,
उजालों का लिबास पहने 
बाहें फैलाये ...


तुम धूप के रंग जैसे .


तेज़ गर्म लू के थपेड़ों में 
ठण्डे झोंके से तुम 
माथा सहलाते ...


हवा के रंग जैसे .


सूखे पपड़ाये होंठों पर 
अमृत से बरसते तुम ...
रूह तक उतरते


तुम पानी के रंग जैसे .


यूँ 
दीखते तो नहीं हैं तुम्हारे रंग !!


पर महसूस किया है तुम्हें 
हर कदम , 
हर मोड़ पर ,
हमेशा अपने साथ ...
अपने संग .


                - मीता . 



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