आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
मंगलवार, 10 जुलाई 2012
बच्चे मन के सच्चे ...
इस बार सरगम में इस से बेहतर प्रस्तुति नहीं हो सकती थी। कहते हैं, हर नन्हे शिशु का जन्म इस बात का पुख्ता सबूत है कि ईश्वर मानव से अभी पूरी तरह हताश नहीं हुआ है। हर बच्चा मानवता के लिए एक उम्मीद की कोंपल है। ये मीठा सा गीत बचपन के नाम ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें