मंगलवार, 7 अगस्त 2012

मेरी नींदों को न तोड़ो के मुझे सोने दो


मेरी नींदों को न तोड़ो के मुझे सोने दो,
तुम अभी से न जगाओ के मुझे सोने दो।


जब मैं आगोश में रंजों के चली जाती हूँ,
थक के सो जाती हूं नींदों में सुकूँ पाती हूँ।


देखो दुनिया से मुझे और मिला ही क्या है,
बस ये ख्वाबों से भरी नींद मेरी दुनिया है।



मेरा हर ख्वाब कोई रंग नया लाता है,
वो जो मिलना नहीं नींदों में चला आता है।


प्यार से राह के काँटों को वो चुन लेता है,
जो भी कहती हूँ मैं वो प्यार से सुन लेता है।


मुझको मुझसे न छुड़ाओ के मुझे सोने दो,
तुम अभी से न जगाओ के मुझे सोने दो।


अपनी तन्हाइयों में पास मुझे रहने दो,
मेरे दिल में छुपे जो राज़ मुझे कहने दो।


रात का चाँद हूँ मैं और मैं सवेरा हूँ,
मैं किसी का भी नहीं नूर मैं तो तेरा हूँ।


तू तो पगली है खुद को बेकरार करती है,
जब तलक मैं हूँ तू बेकार फिक्र करती है।


तेरी सोचों की उड़ानों का मैं परिन्दा हूँ,
तेरा हमराज़ हूँ मैं तुझसे ही तो ज़िन्दा हूँ।


चल खयालों के नये सिलसिले बनायेंगे,
जहाँ कोई न गया चल वहाँ पे जायेंगे।


जो तुम्हारे हैं सारे दर्द मुझे सहने दो,
मेरे दिल में छुपे जो राज़ मुझे कहने दो।

      - इमरान खान 'ताइर' 

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