सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

तुम्हारे मेरे बीच ...


तुम्हारे और मेरे बीच 
कविता ही तो होगी
संवाहक - दूती - संवदिया .
कविता ही तो बनेगी पुल
जिसके नीचे बहते
समय के सतत प्रवाह को लांघ
रोज़ तुम तक आऊंगा .
पाऊंगा तुम्हें ,
फिर लौट आऊँगा
अपने आप को खोकर .

                   - दिनेश द्विवेदी .  

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