मेरे न रहने पर भी
सुबह की धूप निकलेगी ,
तुम्हें सहला के गुज़रेगी ...
कहीं
कोई चिड़िया गाएगी ...
कोई चिड़िया गाएगी ...
हवा तुम तक
खिले फूलों की खुशबू लाएगी ...
और
तुम देखोगे
तुम देखोगे
कुछ भी नहीं बदला !
तितलियाँ
फूल खोजेंगी ,
फूल खोजेंगी ,
रोज़
वो शाम का सूरज
वो शाम का सूरज
उनींदा हो के डूबेगा ,
सितारे
टिमटिमायेंगे ,
टिमटिमायेंगे ,
किसी मैदान में
नन्हे बच्चे
खिलखिलायेंगे .
खिलखिलायेंगे .
वही
हर दिन की
आपा धापी में
हर दिन की
आपा धापी में
हर दिन
रहेंगे सब ...
रहेंगे सब ...
थकेंगे ,
शाम को
अपने घरों में लौट आयेंगे .
अपने घरों में लौट आयेंगे .
किसी के
होने, न होने से
कब
कुछ भी बदलता है .
कुछ भी बदलता है .
तुम याद रखोगे -
तो ना हो कर भी
होऊँगी .
होऊँगी .
और
अगर भूल जाओगे -
अगर भूल जाओगे -
तब भी
मैं रहूंगी ;
मैं रहूंगी ;
और
देखूँगी तुम्हें
देखूँगी तुम्हें
तुम्हारी आँखों से .
कभी महसूस भी होगा
तुम्हें
तुम्हें
जब कोई झोंका
छू के गुजरेगा .
या फिर
बारिश की पहली बूँद
बारिश की पहली बूँद
जब
मिटटी को महकाएगी
मिटटी को महकाएगी
और
सौंधी सी वो खुशबू
सौंधी सी वो खुशबू
तुम्हारे पास आएगी .
ये जो एक नींद है
हम जिस को कहते
ज़िन्दगी हैं ;
ज़िन्दगी हैं ;
जब इस से जागते हैं हम ,
तो मिलते हैं
उजाले में
उजाले में
न जाने
कितने चेहरों से ,
कितने चेहरों से ,
हमें
पीछे कहीं
जो छोड़ आये थे .
पीछे कहीं
जो छोड़ आये थे .
कभी
जब आँख खोलोगे ,
जब आँख खोलोगे ,
मिलूंगी फिर तुम्हें
उस नींद के आगे
सुबह की रौशनी में ;
और थामूंगी
तुम्हारा हाथ -
तुम्हारा हाथ -
फिर से .
- मीता .
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