शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

दीपावली

चलो, 

साथ चलो 

हम कुछ कर दिखाते है .

बादलों को बाँध हौसलों के मंझे से 

सूरज से पेच लड़ाते हैं .


तुम हाथ तो दो 

मिलकर हम 

एक सीढ़ी नयी बनाते हैं ,

थोडा सी कोशिश करतें हैं   

और चाँद जमीन पर लाते हैं .



तुम

चुटकी भर उत्साह मिलाओ 

मैं मुठ्ठी भर उल्हास ,

सजे ये दुनियां खुशियों से

करें ऐसी रंगोली आज .


तुम 


मेरे कंधे पर चढ़ जाओ 


हम कुछ बटोर ले तारें ,

एक रख कर हर कोने में 

चलो अब दूर करें अंधियारे .


तुम 

लाओ सपनो का ताना ,

मैं उम्मीद का बाना , 

गुंथे दोनों को जो हम 

फिर गूंजे नया तराना .


कोई धुन ऐसी 

संगीत कोई हो ऐसा 

खुशियाँ जो बस बिखराए 

न हींग लगे न पैसा 


चलो 

राम - लक्ष्मी की बातों से 

हम थोडा ऊपर आते है .

जोड़े जो हर एक मानव को

ऐसे दीपावली मनाते हैं .

     
     - स्कन्द .

     24 / 10 / 11 








   



















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