शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

अमावास का अँधेरा दियों से दूर नहीं होता

 

क्या कभी 
किसी राम ने 
किसी रावण को मारा था ?

रावण तो आज भी जिन्दा है 
और उसके दस सर कट कर  
हर तरफ बिखर गए हैं .
कभी वो
आतंकवाद बन कर उभरता है  ,
कभी वो भ्रटाचार बन कर ,
और उसका दमन जारी है .

और राम 
वो है कहाँ  !!
अब कौन सा वनवास काट रहे हैं  
की सिर्फ उनकी खडाऊं ही नजर आती है  .
भरत की पूछो तो 
वो राम को ढूँढने निकले हैं 
और प्रजा प्रताड़ित हो रही है .

सीता 
उसकी तो अग्नि परीक्षा 
अब जन्म लेने से पहले ही हो जाती है ,
और उसको जन्म लेते ही  
धरती में समाना पड़ रहा है .
जनता का पसीना 
स्वित्ज़रलैंड की लंका मैं कैद है ,
और राम का नाम ले कर
विभीषण उस पर राज कर रहे है .

और महंत 
भोली भली जनता को 
कलयुग  की घुट्टी पिला रहे है .
फिर कैसा दशहरा 
फिर कैसी दिवाली 
अमावास का अँधेरा
दियों से दूर नहीं होता .

 - स्कन्द .
24 / 10 / 11 .




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