सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

चिर अनंत !!


                                                           
                                                                 
             चिर तथा अनंत शब्द से मिल कर बना है 'चिरंतन'अर्थात शाश्वत..जीवन के आदि काल से अब तक जिन आदतों व्यवहारों एवं परम्पराओ ने अपने आपको स्थापित किया है वे सब इसी श्रेणी में आती है.वास्तव में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यदि देखा जाये तो वही चीज़े अस्तित्व में रहती है जो वातावरण में अपने आपको ढाल लेती है अर्थात हर समय उपयोगिता बनाये रखती है.यह शब्द प्रवाह को दर्शाता है .प्रवाह का अर्थ जीवन है यदि आप एक प्रवाहमयी जीवन में है.समय के साथ परिवर्तन की योग्यता रखते है तो अपने जीवन को औरों के लिए चिरंतन बना सकते है .
              मुश्किल पलों में आशा का दामन थामे रहिये क्योकि यही पल आपको तोड़ सकते है आज मन का ना हुआ तो क्या ..कल होगा यह सोच सुनने में आसान लगती है पर अभ्यास की मांग रखती है.हर समय धनात्मक सोचना और अपनी ज़द में आने वाले हर व्यक्ति को धनात्मकता देना ही , प्रेम को महसूस करना और मानव हित में प्रेम का विस्तार करना मानव स्वभाव का चिरंतन गुण रहा है .इसे सहेजना मानव जात का धर्म हो.इसी सोच का विकास कर हम चिरंतन सुख पा सकते है , दे सकते है |
             बहुत सारी शुभकामनाओ के साथ.

                                        राजलक्ष्मी शर्मा. 
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