बड़ी मुश्किल से
मैंने फिर से इक दुनिया बसाई है .
यहाँ पर मैं
मेरी तनहाइयों के साथ रहती हूँ .
खुद को मसरूफ रखती हूँ .
मैं तुझ को सोचती भी अब नहीं हूँ .
तेरी हर याद को मैं दूर ले जा कर
बयाबां में
कहीं पर छोड़ आई हूँ .
तेरे हर अक्स को
धो पोंछ कर
दिल से मिटा डाला ...
हरेक दरवाज़ा खोला
कि हवा और धूप आये
और मिट जाए तेरी खुशबू .
चला जाए तू इतनी दूर
कि फिर लौट ना पाए ....
ना आँखों में , ना यादों में ,
ना मेरे दिल की दुनिया में .
मगर
अब भी ना जाने क्यों ,
वो तेरे क़दमों की आहट
मेरे ख्वाबों में आती है .
मुझे सोने नहीं देती .
मीता .
मीता .
1 टिप्पणी:
sach mein , khwaabon pe kistka bas chala hai. lovely
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