शनिवार, 19 नवंबर 2011

वो तेरे क़दमों की आहट .


बड़ी मुश्किल से 
मैंने फिर से इक दुनिया बसाई है .
यहाँ पर मैं 
मेरी तनहाइयों के साथ रहती हूँ .
खुद को मसरूफ रखती हूँ .
मैं तुझ को सोचती भी अब नहीं हूँ .

तेरी हर याद को मैं दूर ले जा कर 
बयाबां में 
कहीं पर छोड़ आई हूँ .
तेरे हर अक्स को 
धो पोंछ कर 
दिल से मिटा डाला ...

हरेक दरवाज़ा खोला 
कि हवा और धूप आये 
और मिट जाए तेरी खुशबू .
चला जाए तू इतनी दूर 
कि फिर लौट ना पाए ....
ना आँखों में , ना यादों में ,
ना मेरे दिल की दुनिया में .

मगर 
अब भी ना जाने क्यों ,
वो तेरे क़दमों की आहट
मेरे ख्वाबों में आती है .
मुझे सोने नहीं देती .


                   मीता .

1 टिप्पणी:

Na ने कहा…

sach mein , khwaabon pe kistka bas chala hai. lovely

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