सोमवार, 28 नवंबर 2011

शब्दों का ताना बाना .


खण्ड खण्ड है मेरे शब्दों का ताना बाना,
आज पड़ेगा मुझको नैनों से गीत सुनाना।

आशाओं का दिल में जमघट लगा हुआ है,
प्रियतम ने आने का वादा किया हुआ है।
धक धक करता जाये दिल मेरा शोर मचाये,
आने वाले हैं वो अब मुझसे रहा न जाये।

मन के हर कोने में है दीपक मुझे जलाना,
आज पड़ेगा मुझको नैनों से गीत सुनाना।

गदगद है मन मेरा खुद को सजा रही हूँ,
बैठी हूँ , खुशियों की वीणा बजा रही हूँ,
हर्षित है तन मेरा यादों को तेरी छूकर,
आज खुशी में नाचूँ मैं अंतरिक्ष के ऊपर,

मन रे सुंदर कोई तू संगीत बजाना,
आज पड़ेगा मुझको नैनों से गीत सुनाना।

खण्ड खण्ड है मेरे शब्दों का ताना बाना,
आज पड़ेगा मुझको नैनों से गीत सुनाना।

1 टिप्पणी:

meeta ने कहा…

फिर से कुछ अलग लाये हो इमरान.इस बार श्रृंगार रस की कविता. खूबसूरत!!

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