बुधवार, 30 नवंबर 2011

तेरी उड़ान .


मत देख परिंदों को आकाश में उड़ते 
उनकी फितरत में उड़ान है ;
उड़ना ही उनकी जिंदगी 
आकाश ही पहचान है .

तू कर ले कितनी भी कोशिश 
आजाद तू उड़ न पायेगा .
किसी सद्दी से , किसी मंझे से
बंधा तू खुद को पायेगा .
जिसके हाथों में होगी डोर
तुझको वही उडाएगा 
ढील हो कितनी भी तुझको चाहे 
आकाश तू छू न पायेगा ... 


टूट पड़ेगी डोर वो कच्ची 
गर ज्यादा जोर लगाएगा 
भटकेगा कुछ देर हवा में 
फिर लौट के नीचे आयेगा 
तू कर ले कितनी भी कोशिश 
आजाद तू उड़ न पायेगा ...

मत देख परिंदों को आकाश में उड़ते 
उनकी फितरत में उड़ान है 
उड़ना ही उनकी जिंदगी 
आकाश ही पहचान है 

उड़ना है जो तुझको ऊंचा 
सर झुका ,
खुद को पहचान .
हर शै में तेरे खुदा बसा है 
इसीलिए तू है इंसान .

दर्द बाँट ले ,  दुआ बटोर 
हाथ बढा तू सब की ओर ...
नेकी की तू फसल लगा 
कभी किसी के काम तो आ .
तब पायेगा तू अंजाम 
सूरज सा ऊंचा होगा नाम 

देख सूरज को आकाश में चमकते 
और उसके नूर का हिस्सा बन जा ...
फैला इल्म की नेमत हर सू
और तू भी किस्सा बन जा .

क़यामत तक 
जिन्दा रहेगी तेरी पहचान .
ऐसे होगी तेरी उड़ान .


                           -  स्कन्द .

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