शनिवार, 26 नवंबर 2011

ऐसा गीत कहाँ से लाऊँ ...


ऐसा गीत कहाँ से लाऊँ प्रिय ,
जो तुम तक पहुँचाऊँ .


शब्दों की सीमा होती है 
मन की कोई थाह कहाँ ,
मन की पीड़ा पहुंचे तुम तक 
ऐसी कोई राह कहाँ .
शब्द कहाँ सब सच कहते हैं

कैसे तुम को समझाऊँ !

ऐसा गीत कहाँ से लाऊँ प्रिय ,
जो तुम तक पहुँचाऊँ .

गह लेना तुम भेद ह्रदय के 
भाव जहाँ पर चुक जाएँ .
पढ़ लेना नैनों की भाषा 
शब्द जहाँ पर रुक जाएँ .
मेरा मौन समर्पित तुम को 
शब्दों से क्या बतलाऊँ .


ऐसा गीत कहाँ से लाऊँ प्रिय ,
जो तुम तक पहुँचाऊँ .

शब्द जगत की बात कहेंगे, 
मौन, ह्रदय का गीत मधुर . 
मैं तुम संग जिस डोर बंधी हूँ 
मौन वही है प्रीत मधुर .
शब्दों के ताने बाने में  
ये डोरी क्यों उलझाऊँ .


ऐसा गीत कहाँ से लाऊँ प्रिय ,
जो तुम तक पहुँचाऊँ .


                 
                   - मीता .





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