रविवार, 27 नवंबर 2011

क्षणिकाएं ....



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शब्दों के ताने बाने


सूरज की किरने समेटे


लुटाएं रौशनी के खजाने




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शब्दों के ताने बाने


रचनात्मकता के आवरण


जीवन के कुछ किस्से पुराने




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शब्दों के ताने बाने


दबे ढके शब्दों में मन की बात


नज़्म या कविता के बहाने


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शब्दों के ताने बाने


कुछ कल्पित ,कुछ सच्चे


किस्से सबको सुनाने


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शब्दों के ताने बाने


थका आतप मन


पर उम्मीदों पर निशाने


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शब्दों के ताने बाने


बुनते सजाते लोग


शब्दों में ढूंढे जीने के बहाने


राजलक्ष्मी शर्मा. 

1 टिप्पणी:

meeta ने कहा…

छोटी छोटी रौशनी की किरणों की तरह जगमगाते भाव.खूबसूरत क्षणिकाएं.

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