शायद किसी उम्मीद पै जिंदा हैं आज भी .
ख्वाबों को यों तो अलविदा कहा है आज भी .
वैसे तो मुद्दतें हुईं उनको गए हुए
इक दर्द सा दिल में धड़क रहा है आज भी .
सूखे हुए कुछ फूल रखे हैं सम्हाल कर
इक ख़त किसी किताब में दबा है आज भी .
ये कौन सा मौसम ठहर गया है रूह में
कल भी तो दिल उदास था , रोया है आज भी .
थी राह , तो चलना मेरा भी लाज़मी ही था .
क्यूँ दिल उसी मकाम पर खड़ा है आज भी .
- मीता.
ख्वाबों को यों तो अलविदा कहा है आज भी .
वैसे तो मुद्दतें हुईं उनको गए हुए
इक दर्द सा दिल में धड़क रहा है आज भी .
सूखे हुए कुछ फूल रखे हैं सम्हाल कर
इक ख़त किसी किताब में दबा है आज भी .
ये कौन सा मौसम ठहर गया है रूह में
कल भी तो दिल उदास था , रोया है आज भी .
थी राह , तो चलना मेरा भी लाज़मी ही था .
क्यूँ दिल उसी मकाम पर खड़ा है आज भी .
- मीता.
1 टिप्पणी:
insaan toot jaataa hai
khwaab nahee
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