शनिवार, 7 जनवरी 2012

रौशनी


आओ और देखो ,
अभी मेरे पास 
उम्मीद का एक छोटा सा दिया 
बदस्तूर जल रहा है .

तमाम आँधियों के बावजूद 
कुछ तो है 
कि ये नालायक हार नहीं मानता !!
टिमटिमाता है , डगमगाता है 
मगर बुझता नहीं .

अँधेरी आँधियों के पार 
जब सवेरा दस्तक देगा ;
तब तक 
ये छोटा सा जिद्दी दिया 
रौशनी भी देगा मुझे ...
और आंच भी .


                - मीता .

1 टिप्पणी:

Nirantar ने कहा…

usmein zazbe kaa tel jo dalaa hai

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