ऐसा अकसर हो जाता है
जो भी शिद्दत से पाना चाहें ...
खो जाता है !
साथ साथ चलते हैं दोनों
पूरी तरह न कभी कुछ खोया ;
न ही कुछ पाया .
पाते ही खो गया
जो भी पल हाथ आया .
लम्बे सफ़र में
खोया क्या ,पाया क्या
अब कहाँ इतना याद !
बस ये समझ आया ,
जो कुछ भी पाया
उसे पहचाना ...
मगर
खो जाने के बाद .
- मीता .
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