रविवार, 26 फ़रवरी 2012

ये बसंत का मौसम अपने जीवन का सरमाया है....

                               

बूटा बूटा जवाँ जवाँ गुन्चो गुल मुस्काया है,
ये बसंत का मौसम अपने जीवन का सरमाया है।


जंगल जंगल तरसे तरसे आलम था बेहाली का,
सबको सामाने तसकीं खुद सूरज लेकर आया है।


मेरे दिल की सूनी धरती बिलख रही थी सदियों से,
वादी ए दिल ने अब जाकर खुला ख़ज़ाना पाया है।


भौंरा भौंरा निकल पड़ा है फिर कलियों की चाहत में,
फिर दीवानों पर मस्ती का समां नशीला छाया है।


हम जैसे ग़मगीन ग़रीबों की सुन ली है मालिक ने,
रंगो बू के मौसम ने हर ग़म को दूर भगाया है।

                         - इमरान .


गुन्चो गुल: पत्ते और फूल
सरमाया : संपत्ति
सामाने तसकीं : संतुष्टि का सामान
रंगो बू : रंग और खुशबू 

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