मंगलवार, 6 मार्च 2012

ओ जादूगर रंगरेजन

ओ जादूगर रंगरेजन 
रंग दीजो मोरी ऐसी पैराहन 

कान्हा की प्रीत के रंग मा 
मैं रंग गयी ऐसो रंग
पहन उसे इठलाऊँ मैं
खिल जाये मोरी चितवन
ओ जादूगर रंगरेजन 
रंग देजो मोरी ऐसी पैराहन 

केसरिया हो उसमें ऐसा
मीरा का छलकता दीवानापन
लाल हो उसमें ऐसा सुरख
महका दे जो राधा की अगन 
एक छींट हरी सी, पीली सी
जैसे धरती का ढकती हो
सरसों की महकती चादर तन
पहन उसे इतराऊँ मैं
राधा की चूड़ी की खन-खन
हाँ, एक गुलाबी लहरिया भी
जैसे शरमा जाये राधा
सुन नाम पिया का मोहन 
ओ जादूगर रंगरेजन 
रंग देजो मोरी ऐसी पैराहन 

ओ जादूगर रंगरेजन 
गेसू मोरे हैं कारे घन
भर दो चुनरी में ऐसो रंग
लहराऊँ उसे जब वन-उपवन
लगे जैसे मयूरों का नर्तन
हो देख, सघन मेघों को, मगन
ओ जादूगर रंगरेजन 
रंग देजो मोरी ऐसी पैराहन 

ओ जादूगर रंगरेजन 
छेड़ो रंगों का सम्मोहन
सुध-बुध बिसरा जाये मोरी
हो प्रीत विवश मैं बन जाऊं 
अपने पिया जी की जोगन
ओ जादूगर रंगरेजन 
रंग देजो मोरी ऐसी पैराहन 

ओ जादूगर रंगरेजन 
किस रंग मेरी प्रीत रंगी
ये तोसे का बतलाऊँ
श्याम नाम जप ऐसी खोई
आपहि श्यामल हो जाऊं
ओ जादूगर रंगरेजन 
रंग देजो मोरी ऐसी पैराहन 

ओ जादूगर रंगरेजन 
रंगों के इस मायजाल में
तोसे काहे लागी लगन
खुद श्यामल हो कर मैं समझी
तू ही कान्हा, तू ही मोहन
ओ जादूगर रंगरेजन 
रंग देजो मोरी ऐसी पैराहन
                   - नंदिता .

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