आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
सोमवार, 19 मार्च 2012
मुझ में जो कुछ अच्छा है ...
आज के विषय 'अस्तित्व' से सम्बंधित सरगम के अंतर्गत ये ग़ज़ल प्रस्तुत है -
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