सोमवार, 19 मार्च 2012

अस्तित्व का भान .

Wonder Paintings - Waimoku Falls by Fay Biegun - Printscapesझूठी इस दुनिया में 
सत्य का अस्तित्व कहाँ है ?
ये तलाशने को भटके मन 
खामोश ताके ऊपर से नील गगन .


सुबह से रात हो गयी ,
उलझनें कितनी साथ हो गयीं 
फिर चाँद का मन पिघल गया 
वह तुरंत बादलों से निकल गया .


साथ चलते हुए कहता रहा 
संग संग मानसिक हलचलों को झेलता रहा 
अस्तित्व के प्रश्न पर मौन हो गया 
एक रौशनी खिली और भटकाव सारा गौण हो गया .


कहने लगा चाँद -


अंधकार का अस्तित्व है जब तक   
रौशनी की पूजा है तब तक .
झूठ जब तक हर मोड़ पर खड़ा है 
सत्य वहीँ जीतने के लिए अड़ा है .


मृत्यु जब तक मुस्कुरा रही है 
जीवन की कलियाँ तब तक खिलखिला रही हैं 
उदासी का आलम है जब तक 
खुशियों का अस्तित्व है वहीँ कहीं तब तक .


कोई अकेला नहीं आया है 
प्रभु ने सब को जोड़ों में बनाया है .
बारी बारी से सब हमारे जीवन में आते हैं .
अस्तित्व में आता है जीवन तो मौत को भी हम एक दिन अपनाते हैं .


अब देखो न 
मेरी चांदनी का अस्तित्व सूरज से है 
उधर की रौशनी से चमकता हूँ 
लेकिन दिवस भर जो नहीं कर पाया सूरज 
उसी की रौशनी से उसका ही काम करता हूँ ...
दर्द तुम्हारे हरता हूँ 
नीरव रात्रि में बातें तुमसे करता हूँ 
तर्क सारे रख कर मौन हो जाता हूँ .
यहाँ बात मेरी नहीं तुम्हारी है , मैं गौण हो जाता हूँ .


अस्तित्व का प्रश्न है 
तो मन ही मन गुनता हूँ 
धडकनें तेरे ह्रदय की 
साफ़ साफ़ सुनता हूँ .


सुन ध्यान धर 
और इस बात का सम्मान कर 
कि तेरा अस्तित्व ही प्रमाण है  ,
जीवन झूठा नहीं , वह सत्य का संधान है .
अंतिम छोर पर मृत्यु की गोद है 


चल कि उसे तलाशना है तुझे ,
अपने अस्तित्व का भान तराशना है तुझे .
इतना कहते ही खिल उठा चाँद का मन ,
आ गए थे दिनमान , अब खामोश नहीं था गगन .
जीवन की इन टेढ़ी मेढ़ी राहों पर ही कहीं मुक्ति का बोध है .


                - अनुपमा पाठक .

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