मंगलवार, 6 मार्च 2012

तुम्हारे रंग



माना कि हर साल
आती है होली
फिर भी इंतज़ार है
रंग देने और रंग जाने का,
सिर्फ तुमसे ही

 कि  हमारे बीच की नदी
 के उस छोर से फेंकीं  
सुर्ख टेसू सी यादें
बहती  सी मुझे छू जायेंगी
तब होगी होली

जब साँझ  ढले
चांदनी का रंग
हमारे बुने  ख्वाबों को
सहलाता सा चढ़ जायेगा
तब होगी होली

तुम्हें  सौंपे गए उस
दिल की पहली धड़कन के
अनाम रिश्ते का रंग
जिस दिन हम बूझ पायेंगे
तब होगी होली

तुम्हारे स्पर्श से पल्लवित
रिमझिम  सावन सी नेह-वृष्टि
हरित मन में फिर से
जीने की आस जगाएगी
तब होगी होली

या फिर

इस एक दिन में ही
क्यूँ  ढूँढें रंगों की होली
तुम्हारे रंग में रंग के 
 मैं  तो सदियों से ही
तुम्हारी ही हो-ली  


- साधना .

8 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 -03 -2012 को यहाँ भी है

..रंग की तरंग में होली की शुभकामनायें .. नयी पुरानी हलचल में .

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया
आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

सादर

vidya ने कहा…

बहुत बहुत खूबसूरत.............

यदि रचनाकार का ब्लॉग लिंक भी कविता के साथ दिया जाये तो बहुत अच्छा हो...

होली शुभ हो...

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहूत बढीया,,
बहूत सुंदर रचना है....

Na ने कहा…

Sanggeta Swaroop Ji
Thank you for encouragement and including us in the link. Hope you will continue to read us.

Na ने कहा…

Yashwant Mathur Ji - Thank you for your appreciation.Hope you will continue to read and encourage us

Na ने कहा…

Vidya Ji, Thanks for you appreciation. We write collectively in this blog itself, However , thanks for your suggestion, we will try and do something about it. Keep reading and encouraging us.

Na ने कहा…

Reena Ji, Thank you for your kind words. Hope you will continue to read and encourage us.

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