
धड़कन मेरी हैं उन्मादी .
जल तरंग से भीगी जाऊं ,
भीगे तन को कहाँ छुपाऊं .
मेरे मन की नेह दीवारें
झेलें रंगों की बौछारें .
तन रंग डाला , मन रंग डाला .
उर में भर दी कैसी ज्वाला !!
घूमूं पग पग मैं फरियादी
पिया ने ऐसी आग लगा दी .
रंग बिरंगी दिल की वादी ,
धड़कन मेरी हैं उन्मादी .
- इमरान .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें