गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

ख्वाहिश ....:)


जानना चाहते हो मेरी ख्वाहिश
तो थोडा सा अपने प्यार में
मेरी चाहत का रंग घोलो
आसमान ले आओ नीचे
और इस सितारे से इसे तौलो


मेरी ख्वाहिशों के रंग
सितारों से ज्यादा चमकीलें है
जब मै चलूँ बादलों पर
तो खड़े हो निहारो नहीं ,
बस कुछ पूछे बगैर संग हो लो


मेरी ख्वाहिशे
तारों सी ही दूधिया
जिस रंग में रंग दो
उसी की हो जाये
और आब घोल दे अपनी
मैंने तो अपनी कह दी
अब तुम भी तो कुछ बोलो


बोलो ना
क्या है तुम्हारी ख्वाहिश ....:)


          राजलक्ष्मी शर्मा. 

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