रविवार, 15 अप्रैल 2012

छोटी सी ख्वाहिश .

एक दुनिया है मेरी 
तुम तक पहुंचानी है,
कांच की दीवारों से 
आवाज़ लगानी है.

तुम पलट के देख लो 
तो बस जाएगी शायद,
वरना वक़्त की आँधियों में 
टूट के बह जानी है.

इस दुनिया में तुम भी हो 
हैरान मत हो जाना, 
ख्वाहिशों को ख़ुशी से सबब 
बाकी बेमानी है.

              - अनन्या . 

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