आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
सोमवार, 16 अप्रैल 2012
आज सरगम में, मिर्ज़ा ग़ालिब की ये यादगार ग़ज़ल, जगजीत सिंह जी की दिल छू लेने वाली आवाज़ में ... हजारों ख्वाहिशें ऐसी
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