सोमवार, 16 अप्रैल 2012

आज सरगम में, मिर्ज़ा ग़ालिब की ये यादगार ग़ज़ल, जगजीत सिंह जी की दिल छू लेने वाली आवाज़ में ... हजारों ख्वाहिशें ऐसी 


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