आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
सोमवार, 23 जुलाई 2012
घिर आई कारी घटा मतवारी ...
सरगम में आप के लिए प्रस्तुत है फिल्म जूनून का ये मीठा लोकगीत आशा भोसले जी की मधुर आवाज़ में -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें