आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
सोमवार, 20 अगस्त 2012
मौन .
जो नहीं बोलता सदा रहता है मौन प्रिय की निद्रा में लीन से चिरलीन आगामी कल में वही बचता है जैसे वाचाल गोपियाँ अनाम-लुप्त रह गयीं बची रही सिर्फ राधा .
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