कई बार चुप बैठना
और कुछ ना बोलना
इर्द गिर्द आवाजों के घेरे में
अपनी खामोशियों को बहाना
अच्छा लगता है ...
और
अच्छा लगता है
जब तुम 'interpreter' की तरह
मेरी खामोशियों का अनुवाद करते हो
अपने अर्थ निकालते हो
और बुद्धू सी मैं
सोचती हूँ
क्या यही अर्थ रहा होगा !!
फिर भी
ज़िन्दगी
तुम्हें ये मौका मैं देती रहूंगी ...
तुम बोलते रहना
मैं सुनती रहूंगी ...
खामोशी से
तुम्हारे दिए अर्थों में
मायने बुनती रहूंगी .
- राजलक्ष्मी शर्मा .
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