सोमवार, 6 अगस्त 2012

नींद .


रात 
मेरी रूठी हुई नींद 
मेरे पास आई थी ,

मैंने देखा 
मेरी राह तकते तकते 
पीला पड़ा था उस का माथा 
बिखरे हुए थे बाल ,


बदहवास सी थी 
मेरी नींद ,

एक 
लम्बे अरसे के बाद 
आज की रात 
मुझे साकार पा
स्तब्ध थी ...
मेरी नींद .

अपलक ...
निहारती रही 
दबी सहमी ,
स्नेहिल आँखों से 
मेरे पायताने बैठी 
मेरी अप्राप्य प्रेयसी 

मैं 
आज की रात फिर 
जागता रह गया !

        - अमित आनंद पाण्डेय .

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