देह के उपसर्ग हैं कुछ .
देह तो
एक नैसर्गिक
सुगंध
अनुपम गंध
एक शीतल आग
एक आवारा हवा
एक अनाम रागिनी
एक सम्पूर्ण पूजा
एक मीठा विष
एक कड़वा अमृत
एक कंकरीला मार्ग
एक रेशमी पगडण्डी
भोग की स्याही से लिखी
योग की एक दिव्य व्याख्या .
- दिनेश द्विवेदी .
पुस्तक संग्रह ' देह के उपसर्ग हैं कुछ ' से
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