हमारे मेहमान में प्रस्तुत है संगीता गुप्ता जी की ये कविता . संगीता जी के कई काव्य संग्रह ' अंतस से ', ' इस पार उस पार ', ' समुद्र से लौटती नदी ', ' प्रतिनाद ' और एक उपन्यास ' नागफनी के जंगल ' छप चुके हैं . वे एक प्रतिभावान चित्रकार भी हैं और देश विदेश में एकल चित्र प्रदर्शनियां दे चुकी हैं .
सम्प्रति - आयकर आयुक्त , भारत सरकार , नयी दिल्ली .
अलग अलग पगडंडियों पर
चलते हुए भी
पहुंचना तो एक ही जगह है
हमसफ़र , हमक़दम , हमराज़
नहीं न सही
अब फर्क भी कहाँ पड़ता
सब ठीक है
ऐसा ही होना था
शिकायत करने की इच्छा भी
कहाँ बची
जीवन से .
- संगीता गुप्ता .
सम्प्रति - आयकर आयुक्त , भारत सरकार , नयी दिल्ली .
अलग अलग पगडंडियों पर
चलते हुए भी
पहुंचना तो एक ही जगह है
हमसफ़र , हमक़दम , हमराज़
नहीं न सही
अब फर्क भी कहाँ पड़ता
सब ठीक है
ऐसा ही होना था
शिकायत करने की इच्छा भी
कहाँ बची
जीवन से .
- संगीता गुप्ता .
1 टिप्पणी:
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