चटकती दुपहरियों मे
धूल उडाती
बौराई पछुआ के साथ
चले आते हैं
बीते पल.....
सूनी अमराइयां
कास के झुरमुट
गुलेल
एक अल्हड सा बच्चा और कल....
चला आता है
गीत गाता पनघट
चुचुआती पनचक्की
मीलों दूर जाती हुयी
सूनी पगडण्डी
और
रुनझुनाती पायल..
उमसती गर्मियों मे
याद आती है-
जामुनी आँखों वाली एक लड़की
और जेठ के बादल!
......... अमित आनंद पाण्डेय
1 टिप्पणी:
सरल भावपूर्ण आभार....।
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