आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012
मैं पल दो पल का शायर हूँ .
सरगम में आप के लिए प्रस्तुत है हरिवंश राय बच्चन जी का लिखा और मुकेश जी का गाया, दिल की गहराई तक उतर जाने वाला ये गीत जो जीवन की क्षणभंगुरता को बहुत ही खूबसूरती से उकेरता है - मैं पल दो पल का शायर हूँ .
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