धुंध के सफ़ेद उन से बनी
कोहरे की शाल ओढ़े हुए
यह सद्य षोडसी सुबह
माल रोड पर चहल कदमी
के लिए निकल आई है .
हैरान , परेशानकुन होता है
रोज़ ही सूरज यह
मुंह अँधेरे ही निकलता है
इस षोडसी के
अनुसंधान में वह ...
पर उसकी आमद से पेश्तर
मोर्निंग वाक से जा चुकी
होती है यह रूप गर्विता
अपनी गहन गुफा में
अगले दिन तक के लिए .
------ एक और -------
देखो - देखो
रात का चुम्बन ले
चाँद कैसा भागा
और -
तमतमाता सूरज
निकल आया है
अपनी मांद से
उसे खोजने .
- दिनेश द्विवेदी .
कोहरे की शाल ओढ़े हुए
यह सद्य षोडसी सुबह
माल रोड पर चहल कदमी
के लिए निकल आई है .
हैरान , परेशानकुन होता है
रोज़ ही सूरज यह
मुंह अँधेरे ही निकलता है
इस षोडसी के
अनुसंधान में वह ...
पर उसकी आमद से पेश्तर
मोर्निंग वाक से जा चुकी
होती है यह रूप गर्विता
अपनी गहन गुफा में
अगले दिन तक के लिए .
------ एक और -------
देखो - देखो
रात का चुम्बन ले
चाँद कैसा भागा
और -
तमतमाता सूरज
निकल आया है
अपनी मांद से
उसे खोजने .
- दिनेश द्विवेदी .
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