निदा फाजली जी की लिखी ये नज़्म सुनते हैं पंकज उधास जी की आवाज़ में और रूबरू होते हैं औरत के इस गरिमामयी रूप से -
आज फिर शुरू हुआ जीवन . आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी , आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा , आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी . आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया . आज फिर जीवन शुरू हुआ .
सोमवार, 28 जनवरी 2013
बेसन की सौंधी रोटी पर ...
निदा फाजली जी की लिखी ये नज़्म सुनते हैं पंकज उधास जी की आवाज़ में और रूबरू होते हैं औरत के इस गरिमामयी रूप से -
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें