सोमवार, 28 जनवरी 2013

मत तलाशो .



तुम माँ मत
तलाशो मुझमे
कैसे बनूँ जगत माँ
नहीं है इतना धैर्य मुझ में .

और बहन सबकी
कैसे
तुम मैं कब ,कौन ,कहाँ
साथी,सहचर मीत
बन जाये .

प्रेयसी, प्रिया, प्रेमिका
वो भी सब की कैसे बन सकती हूँ
बनाना चाहती हूँ सिर्फ
जो मनचाहा हो .

पत्नी के रिश्ते मैं
पूर्ण आस्था के साथ
दृढ संकल्पित हूँ
युगों से .

सुनो
तुम सिर्फ पुरुष
और मैं सिर्फ स्त्री
बन इस दुनिया
को आधा-आधा
बाँट ले ...

फिर गूंथ लें
और दोबारा गढें .
कुछ तुम मुझमे रह जाओ
और कुछ मैं तुम में

फिर देखना
कोई रिश्ता नहीं ढूँढना
माँ, बहन, बेटी.........

तुम सिर्फ पुरुष
मैं सिर्फ स्त्री
सम्पूर्णता के साथ ............

                                                            

- मृदुला शुक्ला .

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