तुम माँ मत
तलाशो मुझमे
कैसे बनूँ जगत माँ
नहीं है इतना धैर्य मुझ में .
और बहन सबकी
कैसे
तुम मैं कब ,कौन ,कहाँ
साथी,सहचर मीत
बन जाये .
प्रेयसी, प्रिया, प्रेमिका
वो भी सब की कैसे बन सकती हूँ
बनाना चाहती हूँ सिर्फ
जो मनचाहा हो .
पत्नी के रिश्ते मैं
पूर्ण आस्था के साथ
दृढ संकल्पित हूँ
युगों से .
सुनो
तुम सिर्फ पुरुष
और मैं सिर्फ स्त्री
बन इस दुनिया
को आधा-आधा
बाँट ले ...
फिर गूंथ लें
और दोबारा गढें .
कुछ तुम मुझमे रह जाओ
और कुछ मैं तुम में
फिर देखना
कोई रिश्ता नहीं ढूँढना
माँ, बहन, बेटी.........
तुम सिर्फ पुरुष
मैं सिर्फ स्त्री
सम्पूर्णता के साथ ............
- मृदुला शुक्ला .
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