आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
सोमवार, 28 जनवरी 2013
हिम्मत .
हिम्मत ने जाने कब मुझे देखा .... याद नहीं
पर बचपन से उसने मेरी ऊँगली थाम रखी है !
मेरी ऊँगली सूज गई है
दर्द है उसकी पकड़ से
प्रभु - मेरे रास्तों को समतल बना दो
हिम्मत को भी थोड़ी राहत दो .
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