कहाँ सैराब करना है , नदी ने सोच रक्खा है
मिरे बारे में सब कुछ ज़िन्दगी ने सोच रक्खा है .
मैं क्यों उलझा हुआ हूँ बेसबब सम्तों के चक्कर में
कहाँ ढूंढेंगी मुझको , गुमरही ने सोच रक्खा है .
मुझे हर पल बिखरता देखना ख्वाहिश उसी की थी
उसी का मसअला है ये , उसी ने सोच रक्खा है .
अभी कुछ वक़्त है एहसास को इज़हार होने में
सदा में कब ढलेगी , खामशी ने सोच रक्खा है .
मुझे खुद भी नहीं मालूम किस सूरत में उभरूंगा
मिरा चेहरा , मेरी बेचेहरगी ने सोच रक्खा है .
अँधेरे कौन से रखने हैं और किन को मिटाना है
हर इक शब् का मुकद्दर रौशनी ने सोच रक्खा है .
सराबों के मनाज़िर में की इक दरिया के साहिल पर
कहाँ जा कर बुझेगी तश्नगी ने सोच रक्खा है .
- खुशबीर सिंह 'शाद' .
मिरे बारे में सब कुछ ज़िन्दगी ने सोच रक्खा है .
मैं क्यों उलझा हुआ हूँ बेसबब सम्तों के चक्कर में
कहाँ ढूंढेंगी मुझको , गुमरही ने सोच रक्खा है .
मुझे हर पल बिखरता देखना ख्वाहिश उसी की थी
उसी का मसअला है ये , उसी ने सोच रक्खा है .
अभी कुछ वक़्त है एहसास को इज़हार होने में
सदा में कब ढलेगी , खामशी ने सोच रक्खा है .
मुझे खुद भी नहीं मालूम किस सूरत में उभरूंगा
मिरा चेहरा , मेरी बेचेहरगी ने सोच रक्खा है .
अँधेरे कौन से रखने हैं और किन को मिटाना है
हर इक शब् का मुकद्दर रौशनी ने सोच रक्खा है .
सराबों के मनाज़िर में की इक दरिया के साहिल पर
कहाँ जा कर बुझेगी तश्नगी ने सोच रक्खा है .
- खुशबीर सिंह 'शाद' .
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