उमड़ती घुमड़ती हो
मुझमें तुम
बरसाती बादलों की तरह
बरस कर
लौट जाने के बाद भी
मेरी मट्टी में से
उठती है
देर तक
सौंधी
तुम्हारी देह गंध
तुम्हारी नेह गंध .
- एकलव्य .
मुझमें तुम
बरसाती बादलों की तरह
बरस कर
लौट जाने के बाद भी
मेरी मट्टी में से
उठती है
देर तक
सौंधी
तुम्हारी देह गंध
तुम्हारी नेह गंध .
- एकलव्य .
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