इस साल
अब
मैं कितना इंतज़ार कर रहा हूँ बसंत का
नहीं
हमेशा की तरह नहीं
मैं ठण्ड से थक गया हूँ और सूरज की कामना करता हूँ
इस साल
यह अलग है
मैं बदलाव की चरम ताकत की लालसा कर रहा हूँ
मैं गवाह बनना चाहता हूँ
पृथ्वी के फटने का
लाखों तरीकों से धरती के हिलने का
मैं चाहता हूँ पुराना सब मर जाये
क्रांतियां परिणत कर दें
कविताओं को फूलों में रक्त सिक्त धूल से
इस साल
अब
मैं चाहता हूँ शांति का ही हिंसक जन्म हो
आंसुओं को गिरने दो
मृत्यु के मनमानी कर लेने के बाद
बसंत को दहाड़ने दो गरजती हुई नदी की तरह।
- लहब आसिफ अल जुंडी
( सीरियाई कवि )
अनुवाद - किरण अग्रवाल।
अब
मैं कितना इंतज़ार कर रहा हूँ बसंत का
नहीं
हमेशा की तरह नहीं
मैं ठण्ड से थक गया हूँ और सूरज की कामना करता हूँ
इस साल
यह अलग है
मैं बदलाव की चरम ताकत की लालसा कर रहा हूँ
मैं गवाह बनना चाहता हूँ
पृथ्वी के फटने का
लाखों तरीकों से धरती के हिलने का
मैं चाहता हूँ पुराना सब मर जाये
क्रांतियां परिणत कर दें
कविताओं को फूलों में रक्त सिक्त धूल से
इस साल
अब
मैं चाहता हूँ शांति का ही हिंसक जन्म हो
आंसुओं को गिरने दो
मृत्यु के मनमानी कर लेने के बाद
बसंत को दहाड़ने दो गरजती हुई नदी की तरह।
- लहब आसिफ अल जुंडी
( सीरियाई कवि )
अनुवाद - किरण अग्रवाल।
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