शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

नदी पार करते हुए

मैं नहीं देख पाता
अपनी ओर बढ़ती हुई लहरों को
डरकर दूर भागती मछलियों को
किनारे से कटती हुई मिट्टी को

कैसे जान पाता नदी का दुःख
अगर गुज़र जाता मैं भी पुल से
औरों की तरह !

- नोमान शौक़  .
'रात और विषकन्या' से  . 

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