मैं नहीं देख पाता
अपनी ओर बढ़ती हुई लहरों को
डरकर दूर भागती मछलियों को
किनारे से कटती हुई मिट्टी को
कैसे जान पाता नदी का दुःख
अगर गुज़र जाता मैं भी पुल से
औरों की तरह !
- नोमान शौक़ .
'रात और विषकन्या' से .
अपनी ओर बढ़ती हुई लहरों को
डरकर दूर भागती मछलियों को
किनारे से कटती हुई मिट्टी को
कैसे जान पाता नदी का दुःख
अगर गुज़र जाता मैं भी पुल से
औरों की तरह !
- नोमान शौक़ .
'रात और विषकन्या' से .
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