बुधवार, 23 अप्रैल 2014

भरोसे के तंतु

ऐसा क्या है कि लगता है
शेष है अभी भी
धरती की कोख में
प्रेम का आखिरी बीज

चिड़ियों के नंगे घोंसलों तक में
नन्हे-नन्हे अंडे
अच्छे दिनों की प्रार्थना में लबरेज़ किंवदंतियां
चूल्हे में थोड़ी सी आग की गंध
घर में मसाले की गंध
और जीवन में
एक शर्माती हुई हँसी

क्या है कि लगता है
कि विश्वास से
एक सिरे से उठ जाने पर
नहीं करना चाहिए विश्वास
और हर एक मुश्किल समय में
शिद्दत से
खोजना चाहिए एक स्थान
जहाँ से रोशनी के कतरे
बिखेरे जा सकें
अँधेरे मकानों में

सोच लेना चाहिए
कि हर मुश्किल समय ले कर आता है
अपने झोले में
एक नया राग
बहुत मधुर और कालजयी
कोई सुन्दर कविता

ऐसा क्या है कि लगता है
कि इतने किसानों के आत्महत्या करने के बाद भी
कमी नहीं होगी कभी अन्न की
कई-कई गुजरातों के बाद भी
लोगों के दिलों में
बाकी बचे रहेंगे
रिश्तों के सफ़ेद खरगोश

क्या है कि ऐसा लगता है
और लगता ही है   …
एक  ऐसे भयावह समय में
जब उम्मीदें तक हमारी
बाजार के हाथ गिरवी पड़ी हैं
कितना आश्चर्य है
कि ऐसा लगता है
कि पूरब से एक सूरज उगेगा
और फ़ैल जाएगी
एक दूधिया हंसी
धरती के इस छोर से उस छोर तक  …

और हम एक होकर
साथ-साथ
खड़े हो जायेंगे
इस पृथ्वी पर धन्यवाद की मुद्रा में

- विमलेश त्रिपाठी . 

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