इस सप्ताह का हमारा विषय है चिरंतन - Immortal . आप इस विषय पर हमारे अलग अलग विचारों व दृष्टिकोणों से अवगत होंगे . कृपया हमें आप अपनी बहुमूल्य राय अवश्य दें . धन्यवाद !
चिर अनंत !!
चिर तथा अनंत शब्द से मिल कर बना है 'चिरंतन'अर्थात शाश्वत..जीवन के आदि काल से अब तक जिन आदतों व्यवहारों एवं परम्पराओ ने अपने आपको स्थापित किया है वे सब इसी श्रेणी में आती है.वास्तव में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यदि देखा जाये तो वही चीज़े अस्तित्व में रहती है जो वातावरण में अपने आपको ढाल लेती है अर्थात हर समय उपयोगिता बनाये रखती है.यह शब्द प्रवाह को दर्शाता है .प्रवाह का अर्थ जीवन है यदि आप एक प्रवाहमयी जीवन में है.समय के साथ परिवर्तन की योग्यता रखते है तो अपने जीवन को औरों के लिए चिरंतन बना सकते है .
मुश्किल पलों में आशा का दामन थामे रहिये क्योकि यही पल आपको तोड़ सकते है आज मन का ना हुआ तो क्या ..कल होगा यह सोच सुनने में आसान लगती है पर अभ्यास की मांग रखती है.हर समय धनात्मक सोचना और अपनी ज़द में आने वाले हर व्यक्ति को धनात्मकता देना ही , प्रेम को महसूस करना और मानव हित में प्रेम का विस्तार करना मानव स्वभाव का चिरंतन गुण रहा है .इसे सहेजना मानव जात का धर्म हो.इसी सोच का विकास कर हम चिरंतन सुख पा सकते है , दे सकते है |
बहुत सारी शुभकामनाओ के साथ.
.......रश्मि प्रिया .
दो पहलू - हमेशा से
.......Sadhana.
तुम याद रखोगे -
चिर अनंत !!
चिर तथा अनंत शब्द से मिल कर बना है 'चिरंतन'अर्थात शाश्वत..जीवन के आदि काल से अब तक जिन आदतों व्यवहारों एवं परम्पराओ ने अपने आपको स्थापित किया है वे सब इसी श्रेणी में आती है.वास्तव में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यदि देखा जाये तो वही चीज़े अस्तित्व में रहती है जो वातावरण में अपने आपको ढाल लेती है अर्थात हर समय उपयोगिता बनाये रखती है.यह शब्द प्रवाह को दर्शाता है .प्रवाह का अर्थ जीवन है यदि आप एक प्रवाहमयी जीवन में है.समय के साथ परिवर्तन की योग्यता रखते है तो अपने जीवन को औरों के लिए चिरंतन बना सकते है .
मुश्किल पलों में आशा का दामन थामे रहिये क्योकि यही पल आपको तोड़ सकते है आज मन का ना हुआ तो क्या ..कल होगा यह सोच सुनने में आसान लगती है पर अभ्यास की मांग रखती है.हर समय धनात्मक सोचना और अपनी ज़द में आने वाले हर व्यक्ति को धनात्मकता देना ही , प्रेम को महसूस करना और मानव हित में प्रेम का विस्तार करना मानव स्वभाव का चिरंतन गुण रहा है .इसे सहेजना मानव जात का धर्म हो.इसी सोच का विकास कर हम चिरंतन सुख पा सकते है , दे सकते है |
बहुत सारी शुभकामनाओ के साथ.
.......रश्मि प्रिया .
दो पहलू - हमेशा से
ग़म को सुख के रंग में ढाला, सुख में रंज शुमार किया
सदियों से इंसान ने यूँ ही, अपना कारोबार किया
जी चाहा तो सहरा में भी बस्ती एक बसा डाली
जी चाहा तो बसे-बसाए गुलशन को बिस्मार किया
गाँव-गाँव नफ़रत की बातें, शहर-शहर दुश्मन चेहरे
इक न इक फ़रहाद ने फिर भी इक शीरीं से प्यार किया
कभी मशालें बन कर हमने घर औरों के फूंक दिए
किसी रात फिर परवाने की शम्मा का क़िरदार किया
ग़म को सुख के रंग में ढाला, सुख में रंज शुमार किया
BORN AGAIN
spent lies the sedated night
spent lies the sedated night
and the dawn,it's shy lover
hesitatingly draws ochre across the sky
where lifetimes ago you and i
wailed at death’s surgical precision
as it cleaved us with waves
drowned us in despair
yet, born again, under this flaming sky
same stars as the same limitless
sprinkled you into my arms
gently i gathered stardust
to decorate my life with you
my blessed gift of each progression
again and we shall part
till all my soul bears
is an imprint of you
your energy pulsates me
powers this flight across dimensions
and when free will dictates
gliding i come
born again
death’s ruthless strike
our unflinching gaze
flew us to the other side
and we rode back
on the epitome
of the spirit’s quality
the life and afterlife
the supreme energy
of love
absolute
eternal
timeless
Chirantan
.......Sadhana.
फिर से
मेरे न रहने पर भी
सुबह की धूप निकलेगी ,
तुम्हें सहला के गुज़रेगी .
कहीं कोई चिड़िया गाएगी .
हवा तुम तक
खिले फूलों की खुशबू लाएगी .
और तुम देखोगे
कुछ भी नहीं बदला .
तितलियाँ फूल खोजेंगी .
रोज़ वो शाम का सूरज
उनींदा हो के डूबेगा .
सितारे टिमटिमायेंगे ,
किसी मैदान में
नन्हे बच्चे खिलखिलायेंगे .
वही हर दिन की आपा धापी में
हर दिन रहेंगे सब .
थकेंगे ,
शाम को अपने घरों में लौट आयेंगे .
किसी के होने न होने से
कब कुछ भी बदलता है .
तुम याद रखोगे -
तो ना हो कर भी होऊँगी .
और अगर भूल जाओगे -
तब भी मैं रहूंगी ;
और देखूँगी तुम्हें
तुम्हारी आँखों से .
कभी महसूस भी होगा तुम्हें
जब कोई झोंका
छू के गुजरेगा .
या फिर बारिश की पहली बूँद
जब मिटटी को महकाएगी
और वो सौंधी सी खुशबू
तुम्हारे पास आएगी .
ये जो एक नींद है
हम जिस को कहते ज़िन्दगी हैं ;
जब इस से जागते हैं हम ,
तो मिलते हैं सुबह से
और कितने सारे चेहरों से ,
जो हम को छोड़ आये थे .
कभी जब आँख खोलोगे ,
मिलूंगी फिर तुम्हें
उस नींद के आगे
सुबह की रौशनी में ;
और थामूंगी तुम्हारा हाथ -
फिर से .
....... मीता .
3 टिप्पणियां:
बहुत बहुत शुभकामनाएं .. सुंदर इस प्रयास और आगाज़ के लिए ...
हमें उम्मीद है कि 'चिरंतन' हमें निरंतर सुंदर रचनाओं और रचनाकारों से चिर परचित कराता रहेगा..
'रश्मि प्रिया', 'पुष्पेन्द्र वीर साहिल', 'Sadhana' व 'मीता' जी की .. रचनाएं .. आगे भी ऎसी ही आनंदित करेगी ...
बहुत सुंदर सीधे दिल से निकले सरल सुंदर भाव. बहुत अच्छे लगे.
हमारा हौसला बढ़ने के लिए हम आप के आभारी हैं . आशा करते हैं आगे भी आप की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे .... चिरंतन .
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