रविवार, 13 नवंबर 2011

इजाजी .



For an irreplaceable part of me 
 who crossed over उस पार on 17/08/2010

इजाजी , तुमने कहा था ना
जब सीखे मैंने पंख फ़ैलाने
कि  रविवार के अवकाश में
चाहे पड़े कुछ क्षण निकालने

       लिख देना एक पाती तुम
        प्यार भरे दो अक्षर की
       मै करुँगी प्रतीक्षा आतुरता से
       बिटिया की कुशलता की

हुआ विवाह बदला संसार
और हुआ परिवर्तित दूर संचार
तुमने किया आग्रह एक बार
मोबाइल  कॉल करना हर शुक्रवार

    फिर एक दिन मिला आमंत्रण तुम्हे
   बनने    को इश्वर का पाहुना
   पर इतनी जल्दी क्यों थी तुम्हे
   की  भूल गयीं तुम मुझे बताना

किस पत्र तो पढ़ पाओगी तुम
वोह कौनसा तार  है तुमसे जुडा
जिससे अब पहुँच  सकूँ तुम तक
जब मन हो उदास मेरा

 हर बार किया मैंने पूरा  वादा
पर अब तुम खोजो राह नयी
और कुशल भेजो उस पार से तुम
-  मेरी बेटी, मै  हूँ  राजी ख़ुशी

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