Three Poems
Three Expressions
१.
हाथों में मेरे ,
बूँद ओस की
बस यूंही मुस्कुराती रही ,
कैसे जीनी है जिन्दगी
ये मुझको सबक सिखाती रही .
भर कर आँखों में होंसले
मुझ से नज़र मिलाती रही ,
छोटी से अस्तित्व में अपने
सूरज चंदा तारे सारे
इधर उधर छलकाती रही ,
श्रृष्टि का सब श्रृंगार समेटे
मेरी हथेली सजाती रही .
हाथों में मेरे ,
बूँद ओस की
जब तक रही
जिलाती रही .
२.
सातों आकाश
के सूरज चंदा तारे
हाथों में मेरे सिमट गए
छोटे से अस्तित्व में
एक ओस की बूँद के .
मुस्कुराहट छलकाती वो ,
सृष्टि श्रृंगार सजाती वो ,
जीना कैसे है
सिखलाती वो सही ,
सजी हथेली पर मेरे वो
एक बूँद ओस की
जब तक रही .
३.
बूँद ओस की
एक
चंदा तारे आकाश
खुली हथेली मेरी
जीने का आभास .
श्रृंगार सजाना
मुस्कुराना
ऑंखें मिलाना
जीना सिखाना .
सातों आकाशों का अस्तित्व
एक बूँद में सिमट जाना
बूँद ओस की
एक
चंदा तारे आकाश
खुली हथेली मेरी
जीने का आभास .
1 टिप्पणी:
Loved and enjoyed reading your शब्दों का ताना बाना !!
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