शनिवार, 26 नवंबर 2011

शब्दों का ताना बाना .


Same Words
Three Poems
Three Expressions

१.
हाथों में मेरे ,
बूँद ओस की
बस यूंही मुस्कुराती रही ,
कैसे जीनी है जिन्दगी  
ये मुझको सबक सिखाती रही .
भर कर आँखों में होंसले 
मुझ से नज़र मिलाती रही ,
छोटी से अस्तित्व में अपने 
सातों आकाश मिलाती रही .
सूरज चंदा तारे सारे  
इधर उधर छलकाती रही ,
श्रृष्टि का सब श्रृंगार समेटे 
मेरी हथेली सजाती रही .
हाथों में मेरे ,
बूँद ओस की
जब तक रही 
जिलाती रही .

२.

सातों आकाश 
के सूरज चंदा तारे 
हाथों में मेरे सिमट गए 
छोटे से अस्तित्व में
एक ओस की बूँद के .
मुस्कुराहट छलकाती वो ,
सृष्टि श्रृंगार सजाती वो ,
जीना कैसे है 
सिखलाती वो सही ,
सजी हथेली पर मेरे वो 
एक बूँद ओस की 
जब तक रही .

३.

बूँद ओस की 
एक 
चंदा तारे आकाश 
खुली हथेली मेरी 
जीने का आभास .

श्रृंगार सजाना 
मुस्कुराना 
ऑंखें मिलाना 
जीना सिखाना .

सातों आकाशों का अस्तित्व 
एक बूँद में सिमट जाना 
बूँद ओस की 
एक 
चंदा तारे आकाश 
खुली हथेली मेरी 
जीने का आभास .


1 टिप्पणी:

meeta ने कहा…

Loved and enjoyed reading your शब्दों का ताना बाना !!

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