ऐ ज़िन्दगी ,
कभी नाराज़ हो कर
शरारतन
चेहरा तकिये में छुपाया ;
पर तेरे क़दमों की आहट ने
मुझे जीना सिखाया .
तुमसे बिना बात के झगड़ों से
हर बार जी कसमसाया ;
सच कहूँ तेरे क़दमों की आहट ने
मुझे जीना सिखाया .
ये भी सोचा अनसुना कर दूँ
कई बार चाहा
कई बार मुंह बनाया ;
सच कहूँ तेरे क़दमों की आहट ने
मुझे जीना सिखाया .
राजलक्ष्मी शर्मा.
कभी नाराज़ हो कर
शरारतन
चेहरा तकिये में छुपाया ;
पर तेरे क़दमों की आहट ने
मुझे जीना सिखाया .
तुमसे बिना बात के झगड़ों से
हर बार जी कसमसाया ;
सच कहूँ तेरे क़दमों की आहट ने
मुझे जीना सिखाया .
ये भी सोचा अनसुना कर दूँ
कई बार चाहा
कई बार मुंह बनाया ;
सच कहूँ तेरे क़दमों की आहट ने
मुझे जीना सिखाया .
राजलक्ष्मी शर्मा.
3 टिप्पणियां:
प्यार का मीठा पहलू . आप की रचनायें मिठास लिए होती हैं :)
सुन्दर!
rashmi, we really missed your kadmon ki aahat lately..its exhilarating to hear your resounding footsteps again here
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