शनिवार, 17 दिसंबर 2011

फासला



जिंदगी का यही मतलब समझा किये
अब एक फासले से उन्हें देखा किये


कल करीब थे जान तन की तरह
आज वो हमें गैर सा समझा किये


दुश्वारियां बढ़ी या वो निगाहे नीम हुई
शहद की तरह जिनका वजूद समझा किये

अब फासलें है शिकायत और एक टूटा दिल
जिसे ज़िन्दगी का आइना समझा किये


कुर्बतों का ये था आलम किसी दौर में जानां
हम खुद को उस बुत का हिस्सा समझा किये

     
                                                 राजलक्ष्मी शर्मा. 

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