एक आसमान है
धूप से भरा !
चलो ,
आज फैला कर पंख
उड़ते हैं उस में .
जानते हो ,
बादलों में से गुजरें
तो रूह तक
एक ठंडक भर जाती है .
और बूँदें पानी की
टिक जाती हैं जिस्म पर ...
देखो ना
ये नन्ही चिड़िया ,
हमने इसे कैसे चौंका दिया !!
चलो खुल कर हँसते हैं ...
हवा में झूलते हैं .
नीचे झांको ,
देखो तो...
देखो तो...
कितनी दूर निकल आये हैं
हम ज़मीन से ;
जहाँ धूप बमुश्किल पहुँचती है !!
पर लौटेंगे वापस ,
ज़मीन पर ही .
ज़मीन पर ही .
आसमान ...
केवल पंखों के लिए होते हैं .
पैर तो ज़मीन मांगते हैं .
लेकिन ,
अभी हम इस बारे में क्यों सोचें .
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