रविवार, 15 जनवरी 2012

अब बस ...



देश से भ्रष्टाचार हटाना है ... आवाज़ उठाओ .
कश्मीर से फ़ौज को हटाना है ... आवाज़ उठाओ .
केरल में बांध टूट जायेगा ... आवाज़ उठाओ .
अफज़ल जेल से छूट जायेगा ... आवाज़ उठाओ .
कसाब बिरयानी खाता है ... आवाज़ उठाओ .
नल में पानी नहीं आता है ... आवाज़ उठाओ .

बत्ती की कई दिनों से कटौती है ... आवाज़ उठाओ .
बाबू समझता है दफ्तर उस की बपौती है ... आवाज़ उठाओ .
नेता चोर है ...आवाज़ उठाओ .
अफसर रिश्वतखोर है ... आवाज़ उठाओ .
बिग बॉस से होता नैतिकता का पतन है ... आवाज़ उठाओ .
इस देश में सिपाही का भी बिकता कफ़न है ... आवाज़ उठाओ .


बस ........................................
अब और आवाज़ मत उठाओ .
हर तरफ से उठती आवाज़  
अब शोर बन चुकी है ...
कामचोरी की घटा घनघोर बन चुकी है .
बहुत सरल होता है दूसरों पर उंगलियाँ उठाना .
उतना ही मुश्किल होता है 
अपनी जिम्मेवारी निभाना .
अब चुपचाप रह कर 
चलो हम अपना - अपना काम करें 
और इस देश की अकर्मण्यता हरें .


                - स्कन्द .    

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